Yaara(Chokdi Gang) Movie Hindi Review Directed by Tigmanshu Dhulia
Taksh no Commentsतिग्मांशु धूलिआ के निर्देशन में बनी "यारा" मूवी हिंदी रिव्यु
यारा मूवी रेटिंग:- 2 स्टार और वो भी स्टार कास्ट के लिए
यारा स्टार कास्ट(Yaara Star Cast)
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Amit Sadh (अमित साध)
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Vidyut Jammwal (विद्युत् जममवाल)
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Shruti Haasan (श्रुति हासन)
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Sanjay Mishra (संजय मिश्रा)
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Vijay Varma (विजय वर्मा)
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Kenny Basumatary (केन्नी बसुमतारी)
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Ankur Vikal (अंकुर विकल)
क्या है यारा(चौकड़ी गैंग)की कहानी?
कहानी भूत और भविष्य काल मे चलती है. फागुन(विद्युत् जममवाल) जो की अपने बेटे का बर्थडे अपनी बीवी(श्रुति हासन) दो दोस्तों बहादुर(केन्नी बसुमतारी), रिज़वान(विजय वर्मा) और कुछ महेमानो को साथ मना रहा है वही दूसरी तरफ मितवा(अमित साध) 20 साल बाद अपनी गर्ल फ्रेंड से मिलने जाता हैं जो की अपने बच्चे को स्कूल से लेने आई है. वही मितवा को पुलिस किसी मंत्री के मर्डर मे पकड़ लेती है और उसे सरकारी गवाह बनने को बोलती है. वही मितवा अपने पुराने दिनों को याद करता है की वो कैसे फागुन से मिला था असल मे मितवा पाकिस्तान से था जहा से उसके पिता उसे अपने दोस्त के पास राजस्थान भेज देता है और वो फागुन और उसके पिता के साथ रहने लगता है जो की बंदूक बनाने का काम करते है एक दिन वो बंदूक बना कर एक आदमी को बेचते है जो एक बड़े आदमी को मार देता हैं और उस आदमी का भाई फागुन के पिता को उसी के हाथो मरवा देता है उसी दिन रात को मितवा और फागुन अपने बाप के हत्यारे को मारने जाते हैं पर मार नहीं पाते और वहां से भाग जाते हैं.
चौकड़ी गैंग की कहानी
भागते भागते वो चमन चाचा(संजय मिश्रा) से मिलते हैं जिन को वो पुलिस से बचाते है चमन दोनों को अपने साथ नेपाल ले जाता है और वो लोग वह अपने बाकि के दो दोस्तों से मिलते है बहादुर और रिजवान फिर ये चारो मिलके नेपाल से भारत चीजों की तस्करी करते है और बड़े होते होते बंदूकों को तस्करी भी करने लगते है और वो भी नक्सलियों को.
इस बीच फागुन, रिजवान और बहादुर मिल कर मितवा को पुलिस से छुड़ा लेते है और जिनको ये काम सौपते है उस मे एक आदमी मितवा की गर्ल फ्रेंड का पति है जो की उसे बहुत मारता था जब ये लोग मितवा को छुड़ा लेते है तो फागुन उन सब को मरवा देता है. फिर चारो यार मिल कर पुराने दिन याद करते है और मितवा उन्हे बताता है की वो 20 साल से उनसे क्यों नहीं मिला वो बताता है की जेल से निकलने के बाद वो किसी दुरानी(अंकुर विकल) के लिए काम करता है सलीम के साथ मिल कर जो की अब उसकी जान के पीछे पड़ा है. वही कहानी दुबारा बैक मोड मे जाती है जहां चारो को पटना मे बैंक लूटने का काम मिलता है और जो वो काम देता है वो फागुन के पिता का हत्यारा है. बैंक लूटने के दौरान चमन चाचा की मौत हो जाती है जब वो वापस आते है तो सब को मार देते है और फागुन अपने बाप की मौत का बदला ले लेता है. अब उनकी गैंग मे एक नया साथी जुड़ जाता है फकीरा(अंकुर विकल).
श्रुति हासन की कहानी मे एंट्री
ये पाँचो मिलके एक गाँव मे जाते है जहा जमींदार लोगो को लूटता है और अनाज को छुपा के बेचता है अब ये सब जमीदारो को मिलके लूटते है और अपना तस्करी का काम भी साथ साथ करते है. एक काम के लिए ये लोग दिल्ली जाते है जहाँ उन्हे श्रुति हासन मिलती है वो नक्सलियों के साथ मिल कर सरकार के खिलाफ काम करती है अब ये लोग भी इन के साथ काम करने लगते है. एक दिन जब ये गाँव मे मिल कर श्रुति का बर्थडे मना रहे होते है तो पुलिस रेड मर देती है और इन सब को पकड़ लेती है पर फकीरा वहां से पहले ही निकल जाता है जिससे इन सब को लगता है की फकीरा गद्दार है. पुलिस पूछताछ करके इनके सभी साथियो के नाम निकलवा लेती है और सब को मार देती है. वही चारो को अलग-अलग जेल हो जाती है फागुन को 10 साल, रिजवान, बहादुर को 7 साल और मितवा को 4 साल.
क्लाइमेक्स
अब कहानी रियल टाइम मे चल रही है जहाँ बहादुर के साथ-साथ नूतन(मितवा की गर्ल फ्रेंड) को सलीम मार देता है और सलीम को फागुन, मितवा और रिजवान मिल कर मार देते है. अब ये लोग सोचते है की सब ठीक हो गया है पर तभी एक पार्टी मे रिजवान भी मारा जाता है अब फागुन को पता लगता है की इन सब को दुरानी मरवा रहा है जो दुबई मे है. फागुन दुबई जाता है तो पता चलता है की दुरानी ही फकीरा है वह फकीरा उसे बताता है की मैने पुलिस को खबर नही दी थी अब फागुन फकीरा को मार देता है और वापस इंडिया आ जाता है जहा उसे पता चलता है की नक्सलियों के नाम फकीरा ने नही बल्कि मितवा ने दी थी वही फागुन मितवा से मिल कर उसे देश से निकलने का रास्ता देता है और साथ ही साथ एक बंदूक जिस से मितवा अपने आप को मार लेता है इसी के साथ कहानी ख़तम. अब आप लोग खुद देख लो कितनी उलझी हुई कहानी है.